Useful Tips for Transliteration

हिन्दी आशुलिपि एक ऐसी लेखन पद्धति है जो तीव्रगति से लेखन की कला प्रदान करती है परंतु यह कला तभी सफल मानी जाती है जब लिप्यंतरण पूर्णत: शुद्ध हो। ज्यादातर आशुलिपिक उच्च गति पर श्रुतलेखन तो कर लेते हैं परंतु लिप्यंतरण में उनकी त्रुटियॉं अत्यधिक होती हैं।


चलिए हम इस पोस्ट में आपको बताते हैं​ कि आप किस प्रकार से लिप्यंतरण के समय होने वाली त्रुटियों को कम कर सकते हैं। आप अच्छी तरह से समझ सकें, इसके लिए हम प्रश्नोत्तर के रूप में जानकारी को समझेंगे।


क्या होता है लिप्यंतरण ?
लिप्यंतरण का अर्थ है एक लिपि से दूसरी लिपि में परिवर्तित करना। चूॅंकि यह शब्द आशुलिपि के लिए प्रयुक्त किया गया है, इसलिए इसका सीधा अर्थ यही होता है — आशुलिपि से मूल भाषा में पाठ्य का अनुवाद करना।

संक्षेप में कहा जाए तो श्रुतलेखन के बाद निर्धारित समय में आशुलिपिकों को श्रुतलेखन यानि आशुलिपि में लिखे गए अनुच्छेद को वापिस उसी भाषा में अनुवादित करना होता है जिस भाषा में उसे डिक्टेशन दिया गया होता है। यदि आशुलिपिक को हिन्दी भाषा का श्रुतलेख बोला गया है तो उसे लिप्यंतरण के समय आशुलिपि से पुन: हिन्दी भाषा में अनुवाद करना होता है।

कैसे करते हैं लिप्यंतरण ?
लिप्यंतरण के लिए वर्तमान में कई पद्धतियॉं प्रचलन में हैं परंतु कंप्यूटर टाइपिंग के जरिए लिप्यंतरण की विधि सबसे अधिक सहज होने से प्राथमिक रूप से प्रयोग की जाती है। इससे प्रमुख लाभ यह होता है कि लिप्यंतरण में यदि अशुद्धियॉं होती हैं तो उनको दुरूस्त किया जा सकता है। इतना ही नहीं यदि कोई नया शब्द जोड़ा जाना है तो भी उसे बाद में आसानी से जोड़ा जा सकता है।

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कंप्यूटर पर लिप्यंतरण के अतिरिक्त टाइपराइटर पर लिप्यंतरण करना और हस्तलिपि में लिप्यंतरण भी वर्तमान में प्रचलित है।

लिप्यंतरण की त्रुटियॉं 
लिप्यंतरण में होने वाली त्रुटियों की गणना व्याकरण के आधार पर की जाती है, जैसे— एक शब्द कम या अधिक टाइप कर देना, व्याकरण के अनुसार अशुद्ध टाइप करना, पैराग्राफ, पूर्णविराम इत्यादि की त्रुटियॉं। लिप्यंतरण में कितनी त्रुटियॉं हुई हैं, इसकी जानकारी के लिए आशुलिपिक द्वारा अनुवादित किए गए पाठ्य का मूल डिक्टेशन से मिलान किया जाता है और उपरोक्तानुसार त्रुटियों की गणना की जाती है।

कई बार अनुच्छेद अर्थात् पैराग्राफ और अल्पविराम की त्रुटियों को गणना में नहीं लिया जाता है तो कई बार उनको आधी त्रुटि के रूप में गिना जाता है। इसके अतिरिक्त अभ्यर्थी को कई बार इसकी भी छूट दी जाती है कि वह व्यक्तियों के नाम या ऐसे नाम जो अलग—अलग भाषा में अलग—अलग उच्चारण के साथ लिए जाएं, उनकी वर्ण त्रुटि को नजरअंदाज किया जाए।

लिप्यंतरण की त्रुटियॉं कम कैसे हों ?
यही हमारा मुख्य प्रश्न है कि हम किस प्रकार से टाइपिंग के दौरान अपनी गलतियों को कम कर सकते हैं। मेरे अनुसार, सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप लिप्यंतरण के समय एक बार में एक लंबे वाक्यांश का लिप्यंतरण करें, इससे त्रुटि होने की संभावना कम होती है। आधारस्वरूप आप यह मान सकते हैं कि कोई वाक्य जैसे— ''मैं सदन की पहली पंक्ति में उपस्थित माननीय सदस्यों का उनकी गरिमामयी उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त करता हूॅं।'' यदि आप लिप्यंतरण से पूर्व इस पूरे वाक्य को एक बार पढ़ लेते हैं और फिर लिप्यंतरण करते हैं तो यकीनन आप 'को' 'की' 'में' आदि की त्रुटियों से बच जाएंगे और आपको बार—बार बैक आकर इनमें सुधार नहीं करना होगा।


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दूसरा सुझाव यह है कि आप लिप्यंतरण में असुविधा से बचने के लिए समानार्थक शब्दों में आशुलिपि के नियमों के अनुसार मात्राओं का प्रयोग अवश्य करें और फिर लिप्यंतरण के समय प्रथम सुझाव के अनुसार टाइप करने से पूर्व एक बार मन में लाइन को अवश्य पढ़ लें इससे आप समानार्थक शब्द का एक सही रूप आसानी से समझ सकेंगे।

जब कोई शब्द समझ न आए
कई बार ऐसा होता है कि आशुलिपि में शब्द तो लिखा गया होता है परंतु लिप्यंतरण के समय उस संकेत का सटीक अर्थ समझ नहीं आता है। उस परिस्थिति में हमारे सामने समस्या होती है कि हम क्या करें, उस शब्द को लिखें अथवा छोड़ दें। इसके लिए सबसे आसान उपाय यही है कि आप एक बार पूरी लाइन पढ़ें और समझें कि आपके अनुरूप उस विषय या उस वाक्य से जुड़ा वह सांकेतिक शब्द क्या हो सकता है।

इसके उपरांत भी यदि आपको शब्द नहीं आता है तो आप दूसरा तरीका अपना सकते हैं। उस शब्द में प्रयुक्त रेखाओं से बनने वाले शब्दों की कल्पना करें और उन शब्दों को वाक्य के साथ जोड़कर देखें। जैसे — आपने 'मर' रेखाएं श्रुतलेख में लिखी हैं परंतु आपको समझ नहीं आ रहा है कि उनका अर्थ क्या है तो सबसे आसान तरीका यह है कि आप इनसे बनने वाले शब्द — अमर, मर, मरा, मेरा, उमर, मीर, मीरा, मार, मारू, मोर, मरी, मरे आदि की कल्पना करें और देखें कि वाक्य के साथ इनमें से कौन सा शब्द सटीक बैठता है।

आशा है यह पोस्ट और इसमें दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि इससे वास्तव में आपको किसी प्रकार का लाभ हुआ है तो कमेंट्स के माध्यम से अपने विचारों से अवश्य अवगत करावें।