'आ' वर्णमाला में द्वितीय स्थान पर आता है, इसकी मात्रा 'ा' के रूप में दर्शित की जाती है। इसका उच्चारण करते समय हमें जोर देकर पढ़ना होता है। या यों कहें कि 'ा' मात्रा या 'आ' स्वर वाले शब्दों को पढ़ते समय थोड़ा तेज, दबावयुक्त, श्रम लगाकर आवाज निकालनी होती है।
यहॉं पर हम कुछ ऐसे शब्दों के बारे में पढ़ेंगे जो 'आ' स्वर से या फिर 'ा' की मात्रा से बनते हैं।
आम, आज, आप, आपका, आका, राम, राजा, माता, दाता, भगवान, राह, कामद, फाटक, आवक, जावक, आमद, आदम, चाहत, नाहक, नाम, वकालतनामा, नाप, नापाक, माप, काल, काला, चाचा, पापा, दादा, नाना, बाबा, आजम, आफत, नादान, पान, खान—पान, आसमान, बादल, महाकाल, रक्षा, राक्षस, दान, महादान, दाना
इनमें जिन शब्दों में 'आ' का स्वर है या 'ा' मात्रा है, उनको पढ़ते समय आपको थोड़ा जोर देना होगा यानि आवाज में दीर्घपन, भारीपन होना जरूरी है। 'अ' और 'आ' में यही भारीपन, दीर्घ ध्वनि का ही अंतर होता है। स्वर को स्पष्ट करने के लिए हमने कुछ शब्दों में 'अ' एवं 'ा' का भी प्रयोग किया है।
अब हम कुछ वाक्य पढ़ेंगे जो 'आ' स्वर से और 'ा' मात्राओं से बने हैं।
1. राम, घर पर जाकर, पान ला।
2. राजा उठ, बादल कड़क रहा, घर जा।
3. राज दादा, पान लाया। पान चबा तथा लाल कलर बना।
4. सड़क पर मत चला, छत पर जाकर नाच।
5. राघव, राम—राम कर। भजन का ताकत समझ।
उपरोक्त उदाहरणों से आप समझ गए होंगे कि 'अ' और 'आ' की ध्वनि में क्या अंतर है। सारांश यह है कि 'अ' लघु ध्वनि का प्रदर्शक और गतिमान रूप से पढ़े जाने वाले शब्द को बनाता है जबकि 'आ' दीर्घ ध्वनि वाले शब्दों को बनाता है जिनको पढ़ते समय आपको ज्यादा ताकत और समय देना होता है।
आम, आज, आप, आपका, आका, राम, राजा, माता, दाता, भगवान, राह, कामद, फाटक, आवक, जावक, आमद, आदम, चाहत, नाहक, नाम, वकालतनामा, नाप, नापाक, माप, काल, काला, चाचा, पापा, दादा, नाना, बाबा, आजम, आफत, नादान, पान, खान—पान, आसमान, बादल, महाकाल, रक्षा, राक्षस, दान, महादान, दाना
इनमें जिन शब्दों में 'आ' का स्वर है या 'ा' मात्रा है, उनको पढ़ते समय आपको थोड़ा जोर देना होगा यानि आवाज में दीर्घपन, भारीपन होना जरूरी है। 'अ' और 'आ' में यही भारीपन, दीर्घ ध्वनि का ही अंतर होता है। स्वर को स्पष्ट करने के लिए हमने कुछ शब्दों में 'अ' एवं 'ा' का भी प्रयोग किया है।
अब हम कुछ वाक्य पढ़ेंगे जो 'आ' स्वर से और 'ा' मात्राओं से बने हैं।
1. राम, घर पर जाकर, पान ला।
2. राजा उठ, बादल कड़क रहा, घर जा।
3. राज दादा, पान लाया। पान चबा तथा लाल कलर बना।
4. सड़क पर मत चला, छत पर जाकर नाच।
5. राघव, राम—राम कर। भजन का ताकत समझ।
उपरोक्त उदाहरणों से आप समझ गए होंगे कि 'अ' और 'आ' की ध्वनि में क्या अंतर है। सारांश यह है कि 'अ' लघु ध्वनि का प्रदर्शक और गतिमान रूप से पढ़े जाने वाले शब्द को बनाता है जबकि 'आ' दीर्घ ध्वनि वाले शब्दों को बनाता है जिनको पढ़ते समय आपको ज्यादा ताकत और समय देना होता है।